दस्तूर
दस्तूर
इस दुनिया में दिखावे बहुत है,
अपने होकर भी पराए बहुत हैं,
जिसे मानती नहीं कभी अपना,
इस दुनिया में ऐसे' साये बहुत हैं।
प्यार में आंसू बहाए बहुत है,
प्रेम की कसमें खाए बहुत है,
जो दे देते हैं धोखा हमेशा,
ईश्वर ने हमसे मिलाए बहुत है।
अपने पागलपन में नचाए बहुत है,
इंसानियत की सीमाएं बहुत है,
नहीं समझ सकते कभी मर्यादा को,
इस दुनिया में ऐसे कोख जाए बहुत है।
