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आकिब जावेद

Drama Romance

5.0  

आकिब जावेद

Drama Romance

दर्द में आदत है मुस्कुराने की

दर्द में आदत है मुस्कुराने की

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वो भी करने लगे ज़िद जाने की

हमको आदत नहीं मनाने की।


हाल बेहाल ज़िंदगी भी थी

उसने कोशिश की आज़माने की।


जख़्म गहरे बहुत थे ज़माने के

साज़िश पूरी की आज़माने की।


ज़ख्म गहरे देते हैं ज़माने के

दर्द में आदत है मुस्कुराने की।


आबरू लूट लेते हैं यो तो

वो क़सम खाये हैं सताने की।


नवनिहालों को संस्कार सिखाओ

तुम भी कोशिश करो पढ़ाने की।


व्योम सी शून्यता यूँ व्याप्त थी

खाली ह्रदय में जगमगाने की।


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