STORYMIRROR

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

4.3  

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy

दर्द की बेहतर दवा !

दर्द की बेहतर दवा !

1 min
870


बह रही जब तक हमारे सख़्त अफ़वाही हवा, 

हमने पा ली कोरोना के दर्द की बेहतर दवा !


कुछ दिनों तक वानप्रस्थी बन रहें हम और तुम,

संक्रमण का वायरस है आक्रमणकारी हुआ।


ड्रैगनी धरती से उठकर आसमांं तक छा गया,

ये गया और वो गया हिन्दोस्तांं तक आ गया।


दानवी होकर के मानव पशु से बदतर हो चला,

कुदरती आक्रोश के कदमोंं के नीचे आ चला।


संयमी बर्ताव, सात्विक आचरण को भूलकर,

देखने में शांत लेेकिन आग का गोला बना।


आचरण पर्यावरण सब कुुुछ है धूमिल धूसरित,

काल के असमय बिछाए गाल का हिस्सा बना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy