दर्द की बेहतर दवा !
दर्द की बेहतर दवा !


बह रही जब तक हमारे सख़्त अफ़वाही हवा,
हमने पा ली कोरोना के दर्द की बेहतर दवा !
कुछ दिनों तक वानप्रस्थी बन रहें हम और तुम,
संक्रमण का वायरस है आक्रमणकारी हुआ।
ड्रैगनी धरती से उठकर आसमांं तक छा गया,
ये गया और वो गया हिन्दोस्तांं तक आ गया।
दानवी होकर के मानव पशु से बदतर हो चला,
कुदरती आक्रोश के कदमोंं के नीचे आ चला।
संयमी बर्ताव, सात्विक आचरण को भूलकर,
देखने में शांत लेेकिन आग का गोला बना।
आचरण पर्यावरण सब कुुुछ है धूमिल धूसरित,
काल के असमय बिछाए गाल का हिस्सा बना।