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ashok kumar bhatnagar

Tragedy Action Classics

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ashok kumar bhatnagar

Tragedy Action Classics

दर्द चाहे जितना भी गहरा हो, उम्मीद का सूरज हमेशा उगता है।

दर्द चाहे जितना भी गहरा हो, उम्मीद का सूरज हमेशा उगता है।

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कभी-कभी नज़दीकियाँ भी धोखा देती हैं,
 अच्छे चेहरे भी बुरे इरादे रख लेते हैं।
 जिन्हें अपना समझा था दिल से कभी,
 वही पराया बनकर दिल चीर देते हैं।

सच्चाई की राह पर चलना आसान नहीं होता,
 हर मोड़ पर काँटे बिछे होते हैं कहीं।
 हर मुस्कान के पीछे कोई छुपा दर्द होता है,
 हर कदम पर इम्तिहान होता है यही।

हर रात के बाद सुबह का उजाला आता है,
 हर अंधेरा अपने साथ सबक सिखा जाता है।
 टूटे हुए दिल भी फिर धड़कना सीखते हैं,
 और थमे हुए आँसू भी बहकर सुकून दे जाते हैं।

जो गिरकर संभलना सीख जाते हैं,
 वही अपने जख्मों को मुस्कान से छुपाते हैं।
 वो नहीं रोते भीड़ में अपने दर्द के लिए,
 बस खामोशी में खुद को मजबूत बनाते हैं।

कभी जो सपने सजाए थे आँखों में,
 वही आँसू बनकर छलक जाते हैं पलकों में।
 और जिनसे उम्मीद होती है संभालने की,
 वही अक्सर दर्द दे जाते हैं दिल को बेबसी में।

पर उम्मीद की लौ बुझने नहीं देनी चाहिए,
 क्योंकि सच्चे इरादे कभी हारते नहीं।
 हर मुश्किल राह में कोई सबक छुपा होता है,
 और हर ठोकर के बाद ही रास्ता खुलता है कहीं।


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