संजय कुमार

Abstract

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संजय कुमार

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दोस्ती

दोस्ती

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बिगड़े हुए जो काम बनाए

वह दोस्ती कहलाए।

मरते दम तक जो साथ निभाए

वह दोस्ती कहलाए।

कदम कदम पर साथ निभाए

वह दोस्ती कहलाए।

हर जख्मों का मलहम बन जाए

वह दोस्ती कहलाए।

गमों के राहों पर राह दिखाए

वह दोस्ती कहलाए।

आंसू के जो मुस्कान बन जाए

वह दोस्ती कहलाए।

दुखों में खुशी का छाया बन जाए

वह दोस्ती कहलाए।

जिंदगी का जो आयना बन जाए

वह दोस्ती कहलाए।

कदमों का जो बैसाखी बन जाए

वह दोस्ती कहलाए।

आंखों की जो रोशनी बन जाए

वह दोस्ती कहलाए।

जीने का जो एहसास कराए

वह दोस्ती कहलाए।

मंजिल तक जो पहुंचाएं

वह दोस्ती कहलाए।



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