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संजय कुमार

Abstract

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संजय कुमार

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जनता की आवाज।

जनता की आवाज।

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जब संसद में कानून है बनता, त्राहि त्राहि करती जनता।

करते सब अपनी मर्जी का, जनता की न कोई भी सुनता।


जनता पर लाठी बरसाते, इंसाफ को जब वो सड़क पर आते।

अपना दर्द वो किसे सुनाएं , उनके हक का नेता खा जाते।

जब संसद में कानून है बनता.....


देख देख पीड़ित हो जाती, पर जनता कुछ भी कर न पाती।

हो नौकर तुम इस जनता के,न तानाशाही हम पर दिखलाओ।

जनहित में ही नियम बनाओ, जनता के हक की न खाओ।


रहोगे तुम सत्ता पर तब तक, बस जनता चाहेगी जब तक।

जन जागरूकता का अभियान चलाओ,जनता शासन याद दिलाओ।


जब संसद में कानून है बनता, त्राहि त्राहि करती जनता।

इनको इनका वर्चस्व बताओ,ऐसा न हो गुलाम बन जाओ।

जब जब ये आवाज दबाएं, सब जन मिल ताकत बन जाएं।


सब मिलकर आवाज उठाना, इनको इनका कर्म है याद दिलाना।

स्वतंत्र सदा है ये देश हमारा, स्वतंत्र यहाँ पर रहती जनता।

जब संसद में कानून है बनता, त्राहि त्राहि करती जनता।


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