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संजय कुमार

Abstract

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संजय कुमार

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विश्वास भी नहीं करते।

विश्वास भी नहीं करते।

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अब वो विश्वास भी नहीं करते

पहले जैसा एहसास नहीं करते

इश्क में जब तक डूब न जाएं

दोनों दिल इस कदर

तब तक एक दिल दूसरे पर

राज नहीं करते।

कर दो बयां अपनी मोहब्बत

का इस क़दर

कहीं ये दो दिलों का राज

ही न रह जाए।

दे दो अपना दिल किसी दीवाने को

कहीं ऐसा न हो अपना दिल

अपने पास ही रह जाए।


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