STORYMIRROR

Sanket Vyas Sk

Drama

3  

Sanket Vyas Sk

Drama

दोस्त

दोस्त

1 min
234

एक और एक ग्यारह 

तू सच बताना यारा, 

कैसे तुझको मिल रहा है 

दोस्त बड़ा सयाना।

 

लाख कर देता हूँ कोशिशें

दोस्त अच्छे बनाने की, 

मगर कहीं भी नहीं चल रही 

मेरी कोई चाल सयानी सी 

फिर सोचा,


मैं एक एसा प्लान बनाऊँ

एक ही अच्छा दोस्त बनाऊँ

जो पड़ेगा ग्यारह पर भारी

ऐसा उससे रिश्ता बनाऊँ।


एक और एक दो होते हैं 

पास जब एक-एक रख दिया 

तो बन गया ग्यारह

ऐसे ही रहूंगा साथ में

अपने एक ही दोस्त के

 

और बनाऊँगा

एक और एक दो से

 "एक और एक ग्यारह"।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama