"विश्व बनाओ..... "
"विश्व बनाओ..... "
आखिर कबतक में यूँ ही सहन करूँ
कितनी बार में जलती रहूँ,
सुबह से उठकर रात तक
यू ही जलने की मेरी फूटी किस्मत,
मिलता नहीं कोई एसा ईस जहाँ में
जिसका दिल हो श्री राम की सूरत,
रावण के रुप में सभी यहाँ पर
सीता का हरण वो करते हैं,
बाद में यू ही सबके सामने
वो राम बनने का दिखावा करते हैं
अग्नि परीक्षा हैं हर पल
इस जहाँ में सीता की
कोई नहीं बनता राम यहा पर
सब में है छुपा रावण कहीं,
यह अग्नि परीक्षा करनी बंद करवाए
कोई एसा राम का सच्चा रूप लाओ
अग्नि परीक्षा करवाओ तभी जब
तुम खुद में सच्चा राम पाओ
नहीं होनी चाहिए ये अग्नि परीक्षा
ऐसा ये विश्व बनाओ।
