"करतूतें"
"करतूतें"
कटी जेब से
फटी जेब से,
निकले कैसे
रद्दी जेब से,
फटी हुई वो
जेब को लेके,
बातें बनाते
फिरते रहते,
कैसी कैसी
बात बनाए,
निकले मुंह से
शक्कर जैसे,
बातों को अपनी वो
ऐसे घुमा के,
सामने वाले के
तलवे चटवाते,
जेब वे सबकी
हलकी करवाते,
खुद की ही जेब
यूँ ही भरवाते,
एसी करते हैं वो करतूतें।
बंदे हैं वो गंदे,
चौखठ पर खड़े हैं
लेकर के वो डंडे,
और कई तो
रहते हैं जैसे
वो है साफ-सफूटे बंदे,
जेब जब फटी हमारी,
उनको लगा
हमें मिली मेज़बानी,
वो मेज़बानी की
मौज उठाते,
ना कभी भी
फटी जेब की जांचे,
बस खुद की ही
जेब संभाले
ऐसी करते हैं वो करतूतें।
ना नाम कहूंगा
किसी भी बंदे का,
जो जानते है हो तुम
कौन है वैसा,
उनको सुधारो,
और बनाओ उनको
हम सबके जैसा,
करो ऐसी करतूतें।