दोस्त
दोस्त
जब मन में कोई बात है आए,
या लड़ने को जी ममचलाए,
कोई सवाल हो, कोई भी मुद्दा,
या हो मन में कोई भी शंका,
जब कुछ काम में समझ ना आए,
या निंदन का मन कर जाए,
तब हम को जो याद है आए,
वही हमारे दोस्त कहलाए।
घर की हो कोई दुख-परेशानी,
या सुनानी हो प्रेम-कहानी,
दिल में जो कोई बात है आए,
मुख से स्वयं ही छलकी जाए,
दूर भी हो तो लगता ऐसे,
कल ही की तो बात है जैसे,
जो सभी क्षणों में साथ निभाए,
वही हमारे दोस्त कहलाए।
बचपन से ही साथ हैं होते,
कभी रूठते, कभी संग रोते,
चाहें हरपल छूटते जाएं,
फिर भी अपनी याद दिलाएँ,
नए स्कूल नए कालेज के संग,
नए लोग भी जुड़ते जाएं,
किंतु जो फिर छोड़ ना जाएं,
वही हमारे दोस्त कहलाए।
अच्छा हो या बुरा हो मौका,
ये ना देते कभी भी धोखा,
मस्ती में ये साथ निभाएँ,
काम में भी ये हाथ बटाएँ,
यदि घूमने का प्लान बनाएँ,
मुख पर नाम इनहीं का आए,
हर सफर में साथ निभाएँ,
वही हमारे दोस्त कहलाए।
यदि कोई आता ऐसा दिन,
जीना पड़ता यारों के बिन,
जीवन में भूचाल आ जाता,
सब कुछ तहस-नहस हो जाता,
इनका साथ है पुष्प समान,
जीवन में भर देता प्राण,
जिनके बिना कोई पल ना रमाए,
वही हमारे दोस्त कहलाए।