दोहे
दोहे
आय फरवरी मास में हँसता हुआ बसंत।
इस दिन से होने लगा मान शीत का अंत।।
बाग आज मुस्का रहा हरषित सारे फूल।
पात पात है गा रहा हुआ प्रफुल्लित मूल।।
फुदक रही कादम्बरी शाखा-शाखा आज।
गीत प्यार के गा रही क्या मधुरिम आवाज।।
करवट मौसम ले रहा ग्रीष्म आ गयी द्वार।
खरबूजा-तरबूज की आयी सुखद बहार।
बच्चे- बूढ़े खुश हुये सजी देख चौपाल।
घूम-घूम बतला रहे सब हैं अपना हाल।।
पुलकित हैं बच्चे सभी करते खूब बवाल।
गाँव-गली में खेलते गेंद उछाल-उछाल।।
