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Shailaja Bhattad

Tragedy

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Shailaja Bhattad

Tragedy

दो कदम

दो कदम

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जिंदगी के हर मोड़ पर मिलते रहे

मिल-मिल कर बिछड़ते रहे।

एक पल भी यादों के साथी न बन सके

कोई दास्तां न बन सकी

कोई राह न मिल सकी।

कहते-सुनते, सुनते-कहते बढ़ते रहे

एक लम्हा तक अपना बना न सके

एक दूजे में शरीक भी न हो सके।

परछाई तो बने नहीं।

दो कदम भी साथ चल न सके ।


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