दिव्य जीवन का आधार
दिव्य जीवन का आधार
वास्तव में नैतिक जीवन जीने के लिए
आत्म-नियंत्रण अनिवार्य है।
आत्मसंयम के बिना नैतिकता का
अभ्यास असंभव है।
हो सकता है कि आपके पास नेक इरादे
और उदात्त भावनाएँ हों,
लेकिन जब आपके पास आत्म-नियंत्रण नहीं होता है,
तो आप निराधार जुनून के गुलाम बन जाते हैं।
आत्म-संयम सर्वोच्च योग्यता की ओर ले जाता है।
मनुष्य का यह शाश्वत कर्तव्य है कि वह
अपने दैनिक जीवन में इस गुण का अभ्यास करे।
यह पुण्य दान, बलिदान और वेदों के
अध्ययन में श्रेष्ठ है।
आत्म-संयम वाला व्यक्ति इस दुनिया में
सम्मान प्राप्त करता है और
अगले में पुरस्कार प्राप्त करता है।
