दिन ढलते गए
दिन ढलते गए
बो दिन, आज भी याद आता है
दिल मेरा सहम जाता है
थी खुशियाँ मेरे चहुँ ओर
आए बादल, दुख के घनघोर
दिन एक पल में बदल गया
खुशियाँ चकनाचूर हुई
मैं भी तुझसे दूर हुई l
नैना बरसने लगे
एक बड़ा सा हृदय घात हुआ
मन को बहुत आघात हुआ
तूने कैसे दिए मुझे
आघातों पर आघात बड़े,
दिन ढलते गए, दिन ढलते गए
ना नजरें फिर मेरी फिरी
ना तूने कुछ महसूस किया
अब बचा नहीं कुछ कहने को
घर तो तूने ये छोड़ दिया l
एक बार तो सोच लिया होता
तू क्या था मेरे जीवन में
मैं माँ थी तेरी ऐ पगले l
तू क्या जाने दर्द मेरा,
मैं रोज निहारूं बाट तेरी
बापस आ जा
मेरा लाडला
बापस आ जा मेरा लाडला l
माँ .....
