दिल में मक़ाम करते हो तुम
दिल में मक़ाम करते हो तुम


मुझे
ख्यालो में भी
ख्याल
करते हो तुम,
अपने सपनो में भी
बदनाम
करते हो तुम,
ये इश्क़ हैं,
या आरजू,
खाली फोकट में
परेशान करते हो तुम,
नींद
बनके आँखों में
रोज
शाम करते हो तुम,
की मोहब्बत भरके
दिल में मकाम करते हो तुम,
कुछ
समझ ही नहीं आता,
ये सफर है कैसा
हमसफ़र बनके भी
किस्से तमाम करते हो तुम,
कहते हो
मुझे मेहबूब
फिर भी कत्लेआम करते हो तुम,
थका, हारा, परेशान
करके मुझको,
खुद आराम करते हो तुम,
लगा मुझे की
सच में
इश्क़ हैं तुम्हे मुझसे,
कहा पता था की
ये नाटक सरेआम करते हो तुम !