दिल क्या कहता है तुमसे
दिल क्या कहता है तुमसे
मेरे दिल की धड़कनों को गौर से सुनो
क्या कहता है तुमसे
हर पल, हर घड़ी तेरा बस तेरा
तुमसा होकर मिलना चाहता है तुमसे
तुम्हारी दिल की धड़कनों को भी गौर से सुनो
क्या कहता है तुमसे
मिलकर बिछड़ना, फिर मिलना और
सिर्फ मेरा होना चाहता है मुझसे
तेरा था, तेरा रहूँगा, बस तेरा
साथ चाहता हूँ बितते हर पल से
तुझसे बिछड़ना दोबारा क्या
आँख मिला पाऊंगा खुद से
अब और दूरियाँ, सपनों को मिटाना नहीं चाहता मैं
कितना समझाऊं खुद को खुद से
क्या चाहता है, क्या कहता है तुमसे

