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anu rajput

Romance Others

4  

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तुम्हारा इंतजार

तुम्हारा इंतजार

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मैं अपनी सोच के पार बैठा

खुद से एक जंग हारने के बाद

तुम्हारा इंतजार करता हूँ


अपना सारा अस्तित्व 

मिट जाने के बाद

तुम्हारे ना आने के यकीन पर भी 

किनारे बैठ डगमगाते विश्वास की 

नाजुक सी एक कागज की नाव

नदी में उतार 


अरसे से लम्बे इंतजार के बाद 

एक और फरेब

के बस ये एक आखरी इंतजार 


तुम्हारे लौट आने का 

और मेरे बनते बिगड़ते 

ख्यालातों के मिट जाने का


ये जानते हुए 

की मेरी बनाई नाव

तुम तक पहुंचने से पहले

डुब जाएगी लहरों के लगाव से

या बीच कहीं ठहर जाएगी 

पानी के अभाव से


और अगर इत्तफाकन 

पहुंच भी गई 

तुम तक कभी

तो तुम नकार दोगे

मेरे किनारे बैठ 

तुम्हारा इंतज़ार करने के

सच को


और धीरे-धीरे

मेरे पत्थर हो जाने की

वजह "तुम" को



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