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anu rajput

Others

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मै नाच रहा हूँ , अपनी ही एक धुरी पर

मै नाच रहा हूँ , अपनी ही एक धुरी पर

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मै नाच रहा हूँ

अपनी ही एक धुरी पर

मेरा अपना ही घेरा हुआ एक क्षेत्र है


जिसके उस पार जितने भी जीवन है

उसकी मात्र कल्पनाएँ ही है मेरे पास

जिनको मैने 

एक कैनवास पर उतार

इक आधी पूरी पारदर्शी दीवार को 

सजाये रखा है 


कौन ही जाने हक़ीक़त 

इस काल्पनिक सजावटी दिवार के

उस पार के जीवन की।


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