कविताएँ
कविताएँ
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बहुत देर तक पढ़ी कविताएँ,
किताब घरों में बैठ
मशहूर कलमकारों की।
बहुत देर तक गढ़ी कविताएँ,
प्रेम और युद्ध के बीच
उपजे दीवारों की।
फिर भी नहीं फूटे बीज
वैसी कविताओं के,
जैसे उगते है,
तुम्हारे चेहरे पर रहस्यमयी भाव
अनगिनत रेखाओं से।
