दिल की धड़कन
दिल की धड़कन
दिल की धड़कन बढ़ती जाए
जब भी तू मेरे पास आए
सहलाकर मेरी जुल्फ़ों को
यूं अपना मुझ पर प्यार जताए
इतने करीब हम आ गए
इक दूजे में मानो समा गए
नज़रें, नज़रों में यूं डूब गई
लबों ने दास्तां यूं खूब कही
कभी झुकी तो कभी उठी नज़र
मैं लगूं कंवल, वो लगे शजर
खुमार इश्क का परवान गजब था
मनुहार का उसका मार्ग अजब था
मोहब्बत हसीं है, मोहताज नहीं है
दिल-ए-अरमां ये, सरताज यही है
ख्वाहिश यही कि इश्क मुकम्मल हो
बेदाग मोहब्बत सदा अमल हो......।
(ज़ुल्फ - केश, दास्तां - कहानी, कंवल - कमल, शजर - दरख़्त (वृक्ष), खुमार - नशा, परवान - सटीकता, मनुहार - मनाने का ढंग, अमल - निर्मल, ख्वाहिश - इच्छा, सरताज - श्रेष्ठ मुकम्मल - सम्पूर्ण, हसीं - खूबसूरत, मोहताज - निर्धन)