दिल के दाग को मिटाते रहो।
दिल के दाग को मिटाते रहो।
दिल के हरेक दाग को यूं मिटाते रहो,
क्या करोगे बिछड़ के आते जाते रहो।
क्या मिलेगा गैरों के आंगन में रहकर,
मेरे दिल में अपना आसमां बनाते रहो।
कई रातों का जगा हूं और बदन चूर है
बन के मरहम थकन को मिटाते रहो।
दूर न हो तो फिर इश्क़ का क्या मजा,
इन लंबी रातों में ही नीदें चुराते रहो।
गर जो आओ तो जीवन बने बागबां,
बन के बादल बारिश को लुभाते रहो।
