तेरी याद कभी कभी
तेरी याद कभी कभी
बात जो हुई नहीं थी
वो बात अब है भी नहीं
तस्वीर तेरी बटुए में
फ़िक्र है फिर भी नहीं
मेरी जागती रात का
ये चांद भी गवाह है
रस्ता इतना देखा के
आंख भी सियाह है।
मेरी नसों में बह रहा
है खून तेरे नाम का
हर एक शायरी में
जुनून तेरे नाम का।
बात करते करते तेरी
निकली चीख अभी अभी
तेरा ज़िक्र अब नहीं पर
हां मगर कभी कभी।

