दिल के अरमां
दिल के अरमां
जाना ना उसको ,पर चाहा सिर्फ उसको।
ख्याल रहा उसका और ख्वाब भी रहा सिर्फ उसका।
उसकी जुल्फों के अंधेरे में इस कदर गुम हूं।
मैं अपने दिल के कमरे में बंद हूं।
वो दिख गर जाए तो बात बड़ी है।
मेरी नजरें उसकी नज़रों से लड़ी है।
तमन्ना है उसको कुछ कह जाएं।
बस हमदम बन कर अब यहीं रह जाएं।
हकीकत में ना सही , अब ख्वाबों के परे रास्ता होगा।
मैं तो यही जानता हूं वो दूर से ही मगर मुझे देख हंसता होगा।
अब जी चाहता है, इस दरमियान रात यहीं ठहर जाए।
इस पल और उस पल वो भी यहीं रह जाए।
दिल में अलग ही ख्वाबों के मकान बने जा रही है।
लगता है वो यहीं सामने से आ रहे है।