चुप्पी कितना कुछ कहती है! चुप्पी कितना कुछ कहती है!
आये होंगे उसे मनाने को दुनिया वाले, और वो अपनी ही बात पर अड़ी होगी। आये होंगे उसे मनाने को दुनिया वाले, और वो अपनी ही बात पर अड़ी होगी।
तुमको शायद याद नहीं, मेरे अंदर जज़्बातों की लड़ी तुमने जगाई थी तुमको शायद याद नहीं, मेरे अंदर जज़्बातों की लड़ी तुमने जगाई थी
शब्दों की एक लड़ी सी लगती है उसकी मुस्कान। शब्दों की एक लड़ी सी लगती है उसकी मुस्कान।
समंदर से भी लड़ी हूं मैं अकेली खड़ी हूं। समंदर से भी लड़ी हूं मैं अकेली खड़ी हूं।
ये मेरे सीने में लगी, एक सुलगती लड़ी है। तुझे याद करने की, आज ज़िद फिर चढ़ी है। ये मेरे सीने में लगी, एक सुलगती लड़ी है। तुझे याद करने की, आज ज़िद फिर चढ़ी है।