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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Romance

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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Romance

दिल का आईना

दिल का आईना

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मेरे दिल के आईने में मुझे

एक शक्ल नजर आती है

कभी मिला नहीं तुमसे लेकिन

जाने कैसे तुमसे वह मिल जाती है

देखता हूं जब जब तेरी तस्वीर को

मुझे वही आईने वाली शक्ल नजर आती है

मृगनैनी सी तेरी आंखें

मेरे दिल का चैन चुराती है

तेरे अधरों की हंसी तेरे अधरों

से उछल कर मेरे अधरों को हंसना सिखा जाती है

तेरे घुंघराले बालों की लटकन

मुझे तेरी और आकर्षित कर जाती है

क्या है रिश्ता तुमसे, कोन है तू मेरी

यह उलझन मेरी नींद चुराती है

मेरे दिल के आईने में मुझे

एक शक्ल नजर आती है ।।



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