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Praveen Shiv

Romance

4.5  

Praveen Shiv

Romance

दिल का आईना

दिल का आईना

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415


मेरे दिल के आईने में मुझे

एक शक्ल नजर आती है

कभी मिला नहीं तुमसे लेकिन

जाने कैसे तुमसे वह मिल जाती है

देखता हूं जब जब तेरी तस्वीर को

मुझे वही आईने वाली शक्ल नजर आती है

मृगनैनी सी तेरी आंखें

मेरे दिल का चैन चुराती है

तेरे अधरों की हंसी तेरे अधरों

से उछल कर मेरे अधरों को हंसना सिखा जाती है

तेरे घुंघराले बालों की लटकन

मुझे तेरी और आकर्षित कर जाती है

क्या है रिश्ता तुमसे, कोन है तू मेरी

यह उलझन मेरी नींद चुराती है

मेरे दिल के आईने में मुझे

एक शक्ल नजर आती है ।।



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