दिल ए अल्फाज
दिल ए अल्फाज
बयां ना कर सको वह दर्द मैं हूं,
ठंडी हवाओं सी सर्द मैं हूं,
पहचान न पाएंगे लोग मुझे,
अपनों के बीच अजनबी मैं हूं।
दिल से निकली अल्फाज मैं हूं,
सजा ना सको वह ख्वाब मैं हूं,
पेन से निकलकर कागज पर बिखरकर,
हर लिखित प्रश्नों का जवाब मैं हूं।
चटक मसालों सी स्वाद मैं हूं,
जला ना सको वह आग मैं हूं,
तड़पती निगाहों से देखते हैं मुझे,
सबकी मनचाही सवाब मैं हूं।
खाओ मुझे प्रेम से कबाब मैं हूं,
अपने शहर की नवाब मैं हूं,
चाहत है जिस चीज की तुम्हें,
ऐसी नशीली शराब मैं हूं।