Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shakuntla Agarwal

Tragedy

5.0  

Shakuntla Agarwal

Tragedy

दिहाड़ी मज़दूर

दिहाड़ी मज़दूर

1 min
284


मैं दिहाड़ी मज़दूर हूँ

घर से निकलता हूँ

निवाले की ख़ोज में

जूतियाँ चटकाता हुआ

दो जून की रोटी का

जुगाड़ हो जाए


फटे हाल फटा कुर्ता

फटी जूतियों में उँगलियाँ कॉँपती

जा बैठता हूँ चौकड़ी पर

गण्ठा और रोटी कांख में दबाये

किसी की मेहर हो जाए

काम पे अपने घर ले जाए

आते ही महाशय

मुझे ऊपर से नीचे तक निहारते हैं

मेरी देख - परख पर डालते हैं

आशवस्त होते ही हामी भरते हैं


कोई चोर तो नहीं

फ़िर ऐसे क्यूँ निहारतेे हैं ?

बच्चे पालने के लिए मेहनत

मज़दूरी करता हूँ

भीख तो नहीं माँगता

स्वाभिमानी हूँ मैं

हाथ तो नहीं फैलाता

बिना कमाई के नहीं खाता

ठेकेदार के हाथ लग जाऊँ

मुर्गी बना काटता है

अपना उल्लू साधता है

मेरी मज़बूरी भाँप

चुग्गा उस हिसाब से डालता है


घुन की तरह चक्की में

पिस रहा हूँ मैं

दो पाटन के बीच में

जकड़ा हुआ हूँ मैं

ठेके पर जाऊँ

पसीना ज़्यादा आमदनी कम

दिहाड़ी मज़दूर बनूँ

रोज़ काम न मिलने का ग़म

रोज़ कमाता हूँ रोज़ खाता हूँ

बीमार हो जाऊँ अगर

खांस - खांस के हाँफता हूँ

न बीमा न पेंशन

बच्चों के भविष्य की भी टेंशन

लगता है कोई मसीहा

"शकुन" आएगा

हमें इस फ़टेहाल से मुक्ति दिलवाएगा !!


Rate this content
Log in