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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

धूमिल शाम

धूमिल शाम

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मैं नींद का टुकड़ा रख दूँ 

तुम्हारे सिरहाने 

तुम ओढ़ लो सुकून की चद्दर.! 


सदियों से जगी आँखों में टशर है दर्द की 

चूभती है मेरी पलकों को 

जब-जब मिलाता हूँ तुम्हारी पलकों से.!


कोरी करारी मेरी आँखों से उठाकर 

रेत से तुम्हारे ख़्वाबगाह की ज़मीन में 

बो दूँ सपने 

नमी छलक रही है पनप उठेंगे.!


शाम की तन्हाई में खुद को मेरे हवाले कर दे,

मुट्ठी भर मोती मेरी चाहत के तेरी मांग में भरकर

धूमिल शाम तेरी केसरिया कर दूँ.!

  

करीब आओ मेरी हसरत के सितारे भर दूँ

तुम्हारे गम सभर आसमान की गोद में 

झिलमिला उठे तमस की रात छंटे.!


मेरी आगोश की गर्माहट में रख दो

अपना शीत वजूद, ऋत बदल जाए

पतझड़ में बहार खिल जाए.!


घुल जाओ मुझमें मैं वार दूँ अपना सबकुछ 

तेरे इश्क में मेरी जाँ चाहे फ़ना हो जाए।


मंज़ूर नहीं देखना उदास तुम्हें,

गर हँसी ना दे पाऊँ तुम्हारे लबों को

तौहीन है मेरे इश्क की 

सजदा मेरा इश्क तू खुदा है मेरा।


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