Vijeta Pandey

Abstract

5.0  

Vijeta Pandey

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धरना गुरु

धरना गुरु

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फेमस युनिवर्सिटी के

एक सीनियर को

गुरु बनाया है 

बदलाव जीवन में मेरे 

उनसे ही तो आया है 


मेरी कुछ समस्याएं

मैंने उन्हें बतायी थी

देखिये उन्होने युक्तियाँ 

क्या क्या मुझे सुझाई थी


मैं भोली उनसे बोली

प्रसिद्ध हो जाउं

और महान काम न पड़े करना 

जवाब आया झट से 

बेटा ज्वाइन करो कोइ धरना


सर हिलाकर सहमति मे 

मैंने प्रश्न रखा दूजा 

उत्तर एसा लगा कान को

जैसे मंदिर मे घंटा गूँजा


धरनें में शामिल होने के

नियम कानून बता दो

हसकर वो बोले,

नियम है सारे ताक़ पर 

सरकार को ये जता दो

धरने की डायरी से बेटा 

कानून शब्द हटा दो


आँखो में भर अचरज 

मैंने भी बुदबुदाया 

भाई ,कानून बिना देश में 

कहाँ कुछ होता है 

भाई बोले, 

इसी कानून की 

रोज मीडिया धोता है 


कुछ भी कहो,

पर सबके बीच फजीहत 

बड़ी हो जाएगी

हाथ कंधे पर रखकर बोले 

बेटा पोलिटिक्स यही से आएगी 


कुछ खास नहीं बस बच्चों सा

ज़िद पर अड़ जाना है

सरकारी सम्पत्ति में 

आग खूब लगाना है 

भोली क्या नहीं जानती

मतलबी सारा जमाना है 


सखी, एसा कहकर सीना उनका

वैसे ही फूल गया

जैसे मोरल साइंस की बुक

NCERT भूल गया


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