लॉक्डाउन का डर पति घर पर
लॉक्डाउन का डर पति घर पर
शादी का मज़ा हमको लॉक्डाउन में आया
काम वाली गयी पति मेरा काम है आया
झाडू और पोछे के ख़्वाब छोटे रह गए
जब लंच में दम आलू मेरे सामने आया
वो प्लीज़ प्लीज़ करके प्यार से है खिलाते
वाह वाह करके हम भी हौसला है बढ़ाते
जादू है हाथों में आपके ये झूठ कह के हम
खुद को किचन की गर्मी से है रोज़ बचाते
दिया हुआ दहेज अब वसूल हो रहा
पति परदे चादरों को हाथ से है धो रहा
बरेठा, माली, धोबी से भी ज्यादा है वो व्यस्त
कौन कहता आदमी है, घर में बोर हो रहा
बाइक देख देख मन में मुस्कुराती हूं मैं
चलती थी तू कभी, इन्हे अब चलाती हूं मैं
कि पार्टी मित्र ड्रिंक मोह माया हो गये
अब जलवा अपना हर तरफ दिखाती हूं मैं
बातें सुनी वो भी जो सुनते नहीं थे वो
व्रत सोमवार के मेरे सफल है हो गये
आँफिस के थोड़े काम से थक जाते थे जो
चौबीसों घन्टे काम में निपुण हैं हो गये