तू बढ़ता जा
तू बढ़ता जा
जीवन कुछ नहीं देने वाला
तू स्वयं ही खुद का भाग्य बना
लक्ष्य की पथरीली राहों पर
तू अटल अडिग सा बढ़ता जा
मन मे संशय तनिक ना हो
क्षणिक सुख से भ्रमित ना हो
सुमति से विवेक की गति बढ़ा
तू अटल अडिग सा बढ़ता जा
समय बने तेरा सारथी
जग उतारे तेरी आरती
खुद में ऐसी अलख जगा
तू अटल अडिग सा बढ़ता जा
जब राहों मे संघर्ष मिले
योद्धा को तभी है हर्ष मिले
अंगद सा पाव धरा में जमा
तू अटल अडिग सा बढ़ता जा
कानों को जयकार मिले
गले फूलों के हार मिले
तेरा प्रयत्न ना किंचित घटे
ध्येय की एसी धूनी रंमा
तू अटल अडिग सा बढ़ता जा
तू अटल अडिग सा बढ़ता जा
तू अटल अडिग सा बढ़ता जा!