माँ को प्यार लिखा
माँ को प्यार लिखा
जादू की एक गुड़िया जैसी
मर्ज में दवा की पुडिया जैसी
मौसम में उसे बहार लिखा
आज माँ को मैने प्यार लिखा
मेरे मन के भेद है जाने वो
अन्कहे संदेश पहचाने वो
अपनी खबरों का अखबार लिखा
आज माँ को मैने प्यार लिखा
मेरी सबसे अच्छी सहेली है
जिसका प्रेम भी एक पहेली है
ममता का खुला दरबार लिखा
आज माँ को मैने प्यार लिखा
खुद की चिंता का बोध नहीं
आशीष बांटती क्रोध नहीं
दुआओं का भन्डार लिखा
आज माँ को मैने प्यार लिखा
अनजाने उसे दुख दीया
जानकर कुछ जो बोल दिया
माफीनामा इकरार लिखा
आज माँ को मैंने प्यार लिखा।