Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Alka Nigam

Romance

4  

Alka Nigam

Romance

धरा और तेजोमय

धरा और तेजोमय

1 min
234


मैं धरा तुम तेजोमय.....

कुछ कही कुछ अनसुनी 

ख़यालों के धागों से बुनी

कहानी हमारी।

मेरे कर्मों के पारितोषिक से

तुम मुझे आ मिले।

गहन तिमिर के बाद आई

सुनहरी सवेर।

ज्यों सूरज जा बैठा हो

समंदर की मुंडेर पे।

लहरों संग उतराते

मुझे देख मुस्काते,

पाने को मेरा सानिध्य

तुम सीपी में बंद हो

रात्रि के अंतिम पहर के

सपने के जैसे,

करीब मेरे आके 

मोती सा दमके।

मैं थोड़ी अलसाई सी

ओस में नहाई सी।

काग़ज़ पे लिखी,

कोई अधूरी रुबाई सी।

देख तुम्हें नज़दीक

बासंती सी हो गई,

ज्यों रखते ही ज़ुबाँ पे

गुड़ की ढेली खो गई।

ओस में मैं भीगी सी

तुमको पाके तप्त हुई,

न जाने कितनी कलियाँ

मुझमें चटक गईं।

रागिनी कुछ मीठी सी

मनवा था गा रहा,

मौसम का मिज़ाज 

मुआ संगत था दे रहा।

हथेलियों में लेके तुम्हें

चूमा जो हौले से

महक उठा अंतस मेरा

मोगरे के फूलों सा।

पर....

तुम तो तेजोमय थे

तुम्हें तो अस्त होना ही था,

दीप्त करके मन मेरा

खुद साँझ को सोना ही था।

सो चाँद डाल आँचल में मेरे

मुझसे विलग हो गए

और क्षितिज के जैसे हम 

न मिलके भी मिल गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance