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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

दहेजवालों की बोलती बन्द

दहेजवालों की बोलती बन्द

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दहेजवालों की बोलती बन्द हो गई है

आजकल लड़कियां जो कम हो गई हैं


अब नही मांगते है ,कार,मारुति कोई,

अब उनके चेहरे पे हवाइयां हो गई है


जिनके पैर कभी ज़मीन पे न होते थे,

आज उनके पांवों में मेहंदी हो गई है


दहेजवालों की बोलती बन्द हो गई है

आजकल लड़कियां जो कम हो गई है


अब बेटियां जलती नही,जलाती है,

जिस्म नही काले मन को जलाती है


उन लोगो की रातों की नींद खो गई है

दहेज के कारण बहु की कमी हो गई है


अब तो दहेजलोभियों लोग सुधर जाओ,

अपने मन मे तुमलोग ईमान लेकर आओ,


तुम्हारी दहेज की आदतों की वजह से,

आज जन्नत सी धरती जहन्नुम हो गई है


आज लड़कियों की बड़ी कद्र हो गई है

दहेज के कारण लड़कियां जो खो गई है


दहेजवालों तुम्हारे गुनाह के कारण ही,

आजकल शादियां बहुत कम हो गई है


ये दहेज प्रथा अब वो लोग भूल गये है,

जिसके कारण घरों में शहनाई खो गई है


दहेजवालों की बोलती बन्द हो गई है

आजकल बेटियां जो कम हो गई है



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