देखो मैं तेरे करीब आ गई
देखो मैं तेरे करीब आ गई
मचलने की फिर से रात आ गई,
तुझ संग नशे की नींद आ गई।
मचलना - वचलना बुरा तो नहीं,
देखो मैं तेरे करीब आ गई।
मचलने से बढ़ती है दिल की ये धड़कन,
जो मचलूँ नहीं तो बुझे कैसे तड़पन ?
मचलने से मुझको साँस आ गई,
देखो मैं तेरे करीब आ गई।
प्रेम में मचलना बड़ा दर्द देता,
कभी ज़िस्म देता कभी ज़िस्म लेता,
अब इशारों को पढ़ने की रात आ गई,
देखो मैं तेरे करीब आ गई।
मचलने से डरते हैं जो इश्क वाले,
उनके पैरों में ना पड़ते इश्क के छाले,
मचल के मैं तेरी जिस्म ~ए ~रूह पा गई,
देखो मैं तेरे करीब आ गई।
मचलने से तेरे नाम में आह निकली,
मचलने पर तेरे होठों से वाह निकली,
मचलते - मचलते मैं तुझमे समा गई,
देखो मैं तेरे करीब आ गई।|