सच बहुत याद आता है
सच बहुत याद आता है
सच बहुत याद आता है,
आपकी पीठ का वो गोला,
जिसे जितना भी दबाओ,
दर्द होता ना उसमे थोड़ा।
मुझे पता है कि दर्द,
असल में होता है कहाँ ?
दर्द होता है आपके दिल में,
जहाँ रहते हम वहाँ।
हमारा स्पर्श आपको,
कर देता कमज़ोर है,
उसके आगे उस गोले का,
भला कोई मोल है ?
कभी कभी कुछ स्पर्श,
केवल महसूस किये जाते हैं,
जिनके पीछे की कहानियों के,
सिर्फ निशान रह जाते हैं।
हमारा स्पर्श उस गोले को नहीं,
आपकी रूह को ठंडक देता है,
जिसमे उलझ दो आत्मायों का,
एक अनोखा संगम होता है।
फिर मिले या ना मिले,
वो गोला हमे दुबारा,
यही सोच कर छू लेती हूँ उसको,
जिसपर ये दिल ऐसे हारा।
बहुत से अनकहे स्पर्श,
प्यार की अनुभूति बढ़ा देते हैं,
ज़िन्हे अकेले में सोचो तो,
चेहरे पर एक हँसी ला देते हैं।
सच बहुत याद आता है,
आपकी पीठ का वो गोला,
जिसे जितना भी दबाओ,
दर्द होता ना उसमे थोड़ा।