वही सड़कें वही रास्ते ,
वही बस और रेल थी ,
बस अगर कुछ नहीं था वहाँ ,
तो वो तुम्हारे दिल की जेल थी |
मैने हर रोज़ तुम्हे सच ,
जी भरकर याद किया ,
उन साथ बिताये लम्हों का ,
हर पल नया एहसास किया |
कभी लगता तुम साथ खड़े हो ,
तो कभी दूर खड़े थे मुस्कुराते ,
मैं ख्यालों में खोई तुम्हारे ,
तुम्हारे सपने ही थे मुझे भाते |
वही सड़कें वही रास्ते ,
वही बस और रेल थी ,
बस अगर कुछ नहीं था वहाँ ,
तो वो तुम्हारे दिल की जेल थी |
जब बस ना चलता दिल पर अपने ,
मैं फोन खोल कर जी बहलाती ,
कभी तुम्हारे भेजे संदेशे पढ़ती ,
तो कभी खुद संदेश भेज मुस्कुराती |
अजीब सी कश्मकश में हूँ यारा ,
ये दिल आजकल कहीं लगता नहीं ,
तेरे साथ बिताये लम्हों की कसम ,
तुझे जितना सोचूँ उतना जलता कहीं |
वही सड़कें वही रास्ते ,
वही बस और रेल थी ,
बस अगर कुछ नहीं था वहाँ ,
तो वो तुम्हारे दिल की जेल थी |
कभी वक़्त जो मिला दुबारा ,
मैं उन्हीं सड़कों को ज़िन्दा करूँगी ,
तुम्हारा हाथ पकड़ के सच में ,
वहीं तुमसे अपने दिल की बातें कहूँगी |
तुम मान लेना तब बातें सब मेरी ,
कोई झगड़ा तब बिलकुल ना करना ,
क्या पता वो वक़्त आखिरी हो ,
इसलिये हर ख्वाईश को पूरा करना ||