डर
डर
बीवी का गर्भ धारण करना,
मियाँ को खल गया !
जैसे ही पता चला लड़की है,
अंदर तक सिहर गया !
हाथ पकड़ बीवी का,
डॉक्टर के घर गया !
जनन्ना है तो लड़का ही जन,
जिससे मेरा वंश बढ़ेगा !
डॉक्टर ने जैसे ही हाथ बढ़ाया,
भ्रूण करहाया !
मुझे दुनिया में नहीं आना,
कुल्टा नहीं कहलवाना !
माँ की हालत देख,
अंदर तक सिहर गयी मैं !
दुनिया में आने से ,
पहले ही डर गयी मैं !
ता उम्र मेरी रखवाली कौन करेगा,
यौवन की दहलीज़ पर पैर रखते ही,
वहशी निग़ाहों को कौन सह
ेगा !
रेप का भी डर रहेगा,
ख़ुदा ना खास्ता किसी से दिल लगा बैठी,
समाज़ मुझे कलंकित करेगा !
किसी ने अगर मुझसे दिल लगा लिया,
तेज़ाब से जलाने का डर रहेगा !
रीत अपनायी समाज़ की तो,
दहेज़ का दानव डसेगा !
जुगाड़ न कर पाया मेरा पिता दहेज़ का तो,
मौत का भी डर रहेगा !
लड़कियाँ कौन नहीं चाहता ज़नाब,
लड़कियाँ हैं तो वंश है !
पन, "निर्भया काँडो" का भी डर है !
नहीं, रुके निर्भया काँड तो,
उनका हर्जाना लड़की का भ्रूण भरेगा !
माँ - बाप "शकुन" लड़की पैदा करने से डरेगा !