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Shakuntla Agarwal

Tragedy

5.0  

Shakuntla Agarwal

Tragedy

डर

डर

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बीवी का गर्भ धारण करना,

मियाँ को खल गया !

जैसे ही पता चला लड़की है,

अंदर तक सिहर गया !


हाथ पकड़ बीवी का,

डॉक्टर के घर गया !

जनन्ना है तो लड़का ही जन,

जिससे मेरा वंश बढ़ेगा !


डॉक्टर ने जैसे ही हाथ बढ़ाया,

भ्रूण करहाया !

मुझे दुनिया में नहीं आना,

कुल्टा नहीं कहलवाना !


माँ की हालत देख,

अंदर तक सिहर गयी मैं !

दुनिया में आने से ,

पहले ही डर गयी मैं !


ता उम्र मेरी रखवाली कौन करेगा,

यौवन की दहलीज़ पर पैर रखते ही,

वहशी निग़ाहों को कौन सह

ेगा !


रेप का भी डर रहेगा,

ख़ुदा ना खास्ता किसी से दिल लगा बैठी,

समाज़ मुझे कलंकित करेगा !


किसी ने अगर मुझसे दिल लगा लिया,

तेज़ाब से जलाने का डर रहेगा !

रीत अपनायी समाज़ की तो,

दहेज़ का दानव डसेगा !


जुगाड़ न कर पाया मेरा पिता दहेज़ का तो,

मौत का भी डर रहेगा !

लड़कियाँ कौन नहीं चाहता ज़नाब,

लड़कियाँ हैं तो वंश है !


पन, "निर्भया काँडो" का भी डर है !

नहीं, रुके निर्भया काँड तो,

उनका हर्जाना लड़की का भ्रूण भरेगा !

माँ - बाप "शकुन" लड़की पैदा करने से डरेगा !


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