डॉक्टर
डॉक्टर
एक साल भी ना गया हो
देश के लोगों ने जब
की कोई बड़ी भूल न हो,
चाहे अभिनेता हो, या खिलाड़ी
सर आँखों पर रखते जरूर है वो,
अच्छी बात है ये,
मन की जरूर कर सकते है वे
याद नहीं है मुझे
किसी व्यवसाय या पेशे
में समाचार हो ऐसी
जिसमें परेशान होकर इस सिस्टम से,
जान गंवा रहे है लोग,
और कोई nhi ,
केवल डॉक्टर ही है वो।
पढ़ाई और पश्चाताप की आग में
पूरी जिंदगी लग जाती है तराशने में
इस उम्मीद में की चंद दो लोगों को जान
बच जाए,
सुकून का आभास होता तब हमें,
पर भगवान तो है नहीं हम,
सौ में से दस लोगों की जान बच जाए खुशकिस्मत समझते जरूर है हम,
पर उन नब्बे लोगों को ज्ञान भी है कुछ ,
उनकी खराब स्थिति के जिम्मेदार है कौन
नहीं डॉक्टर तो बिलकुल नहीं
खुद के घर वाले ही है,
जो अपने मरीज को तब अस्पताल लेट है,
जब डाक्टर तो क्या भगवान भी नहीं बचा सकते
है उनकी जान,
पर गलती किसकी, डॉक्टर की
मरीज की जान गई डॉक्टर की वजह से
मरीज डॉक्टर अनुपात कम, डॉक्टर की वजह से,
मरीज को बेड न मिले डॉक्टर की वजह से,
मरीज को खून देने के लिए कोई संबंधी तैयार नहीं
डॉक्टर की वजह से
और पता नहीं कितने अनगिनत आरोप है
इस देश के,
छोटे से छोटे आदमी या बड़े से बड़े नेता
गलती तो उनकी हो कैसे सकती ,
डॉक्टर ही जिम्मेदार है,
इतना जिम्मेदार की आत्मघाती कदम के अलावा
कोई उपाय नहीं बच रहा अब
अभी भी समय है आंखें खोल लो
जो बचे डॉक्टर भी है
कहीं वो भी विलुप्त न जाए कभी।