क्या स्वतंत्र है हम ?
क्या स्वतंत्र है हम ?
इस तिरंगे को ऊँचा उड़ता देख रहे है
लगता है कितनी गर्व की बात है
पर प्रतीत होता है,
मन विचलित सा,
किस मायने में स्वतंत्रता मिली है हमें,
जहां जो पूजते है माँ को,
बली भी उसकी ही चढ़ाते वो
कभी उनके सपनों में बेड़ियाँ बाँध,
या कभी रहन सहन पे प्रश्न कर,
एक लड़के की गलती को सज़ा की क्या ज़रूरत,
उनका कोई बरसो पुराना हक़ है शायद,
स्वतंत्र शब्द की हंसी उड़ाते वो ,
देश की चिंता है जिन्हें, सीमा पर बेझिझक
जान दे रहे है वो ,
क़ीमत जिसकी भी है नहीं लोगों को ,
हमारी शहरों में,
ख़ैरियत रहे अपनी, दूसरों की जान ले रहे वो,
हिंदू, मुस्लिम , सिख , ईसाई,
बौध जैन है दुश्मन सारे,
गौरव जिनका , धर्म है उनका ,
ग्लानि की परिभाषा सिखाते सारे,
७५ साल की आयु है इस देश की,
फ़र्ज़ अपना अभी भी वक़्त,
समझ लो ,सभी,
कहीं अंग्रेजों से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतकर
भी हार ना जाए अपना देश कभी।