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Akshay Shukla

Romance Tragedy

4.5  

Akshay Shukla

Romance Tragedy

दास्तान ए मोहब्बत

दास्तान ए मोहब्बत

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इकरार इश्क़ करने को, निकले थे घर से हम,

दिल में तेरे उतरने को, कितना सजे संवरे थे हम।


तेरी खिड़की के आगे, कितने पहर खड़े थे हम,

एक झलक पाने को, कितना तरस रहे थे हम।


खूबसूरती के चर्चे तुम्हारे, कितनों से सुने थे हम,

मजनुओं की भीड़ में, आशिक़ बने खड़े थे हम।


निकली जो घर से तू, पीछे तेरे चले थे हम,

मंज़िल तेरी पता न थी, हमराह बने चले थे हम।


तूने पलट के देखा जो, वहीं पिघल गए थे हम,

तेरे संग संग सुनहरे, सपने बुन रहे थे हम।


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तेरी मुस्कुराहट के, दीवाने हो रहे थे हम,

तेरे इश्क़ के सागर में, पूरे डूब गए थे हम।


नज़रें तुझसे टकराई तो, सहमे से खड़े थे हम,

नज़दीक आते देख तुझे, चौंक से गए थे हम।


सांसे थाम तेरे लिए, बाहें फैलाये खड़े थे हम,

तू जा गले लगी किसी और के, घायल हुए पड़े थे हम।


टूट गए सारे भरम, बेहाल से हुए है हम।

सपने चूर चूर हुए, देवदास हुए हैं हम।


जाम से कर दोस्ती, नशे में जी रहे है हम,

लेकिन मोहब्बत तुझसे ही, अब तक कर रहे है हम।



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