कौन हुँ मैं
कौन हुँ मैं
कौन हूँ मैं,
क्या वजूद है मेरा।
भटकता मुसाफिर हूँ,
अंजान राहो का,
ए मंज़िल,
ज़रा पता तो दे तेरा।
हज़ारों नकाब चेहरे पर,
यहां लोगो ने पहने है,
आखिर कैसे पहचानूंगा,
कौन अपना है मेरा।
मेरे घर की दीवारे,
अक्सर पूछती है मुझसे,
यार कौन है तू,
आखिर पता क्या है तेरा।
गलतियों को अपनी मैं,
क्यों दुनिया से छुपाता हूँ,
सच इकरार करने में,
जाता क्या है मेरा।
आजकल रातों में,
मैं सोने से डरता हूँ,
ख्वाब में भी कहीं कोई,
सब लूट न ले मेरा।
महफ़िलो में अक्सर मैं,
शरीक होने से डरता हूँ,
कहीं कोई पूछ न लें मुझसे,
की यार नाम क्या है तेरा।
कौन हूँ मैं,
क्या वजूद है मेरा।