दांव-पेंच का जमाना
दांव-पेंच का जमाना
अब भरोसा डगमगाना आ गया
दांव पेंचो का ज़माना आ गया
खेल सकते हैं अगर, तो खेलिए
खेल "चेहरों का लगाना" आ गया
दिल दुखाने पर नहीं अब रोक है
दर्द में भी मुस्कुराना आ गया
फैसला पहले से तय हो जायेगा
खेल भी अब ताज़िराना आ गया
फितरतें दोहरी रखें है आदमी
पीठ पर खंज़र चलाना आ गया
वक़्ते गर्दिश में बदल अपने गये
अब उन्हें बातें बनाना आ गया
ठोकरें खाकर हमारी अक़्ल में
ज़िन्दगी का हर फ़साना आ गया।