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AVINASH KUMAR

Tragedy

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AVINASH KUMAR

Tragedy

दांव-पेंच का जमाना

दांव-पेंच का जमाना

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अब भरोसा डगमगाना आ गया

दांव पेंचो का ज़माना आ गया


खेल सकते हैं अगर, तो खेलिए

खेल "चेहरों का लगाना" आ गया


दिल दुखाने पर नहीं अब रोक है

दर्द में भी मुस्कुराना आ गया


फैसला पहले से तय हो जायेगा

खेल भी अब ताज़िराना आ गया


फितरतें दोहरी रखें है आदमी

पीठ पर खंज़र चलाना आ गया


वक़्ते गर्दिश में बदल अपने गये

अब उन्हें बातें बनाना आ गया


ठोकरें खाकर हमारी अक़्ल में

ज़िन्दगी का हर फ़साना आ गया।


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