" चप्पल "
" चप्पल "
कहते हैं चप्पल मुझे,
पैरों में पहनने वाली,
सबके पांवों की करती हूं रक्षा,
फिर भी कहते हैं मुझे,
पैरों की जूती,
चप्पल पहनो तो,
कंकर कांटों से बचाती,
नाज़ुक पैरों को आराम दिलाती,
फिर भी कहते हैं मुझे,
पैरों की जूती,
हां , बहुत से लोग मुझे मान देते,
नई नई चप्पलों का शौक रखते,
मान अपमान सह लेती,
पर सबका मान रखती,
सबके पांवों की रक्षा करती,
फिर भी कहते हैं मुझे,
पैरों की जूती....