चलो कुछ बात करते हैं
चलो कुछ बात करते हैं
चलो कुछ बात करते हैं
चुप्पी को तोड़ते हैं
दरमिया तेरे मेरे दिल की
बातों को टटोलते हैं
मौसम तो खुश नुमा है
मगर ये सन्नाटा क्यों है।
तेरे मेरे बीच में कम्बखत
ये आता क्यों है।
चलो इस सन्नाटे को
खोल लेते है
चलो यार कुछ बोल लेते हैं।
चलो हम ख़्वाब बुनते है
जो भी हो बेहिसाब बुनते है।
जहां आलम हो फुर्सत का
ऐसी हम राह चुनते हैं।
खता अल्फाज कर गये
दूरियाँ दिल को मिली।
चलो अब भूलकर शिकवे
गले एक बार मिलते हैं।
चलो कुछ..

