लेखक -उड़ान...एक परिंदे की (उपन्यास)
मेरे दोस्त शायद हम तुम्हें बहुत सतायेंगे हो सकता है तुमसे रूठ भी जाएंगे भर तो लेंगे मेरे दोस्त शायद हम तुम्हें बहुत सतायेंगे हो सकता है तुमसे रूठ भी जाएंगे ...
बस इल्तज़ा है ये मेरी सपनों के बाग में सच्चाई हो, संघर्ष हो, इंसा के ख्वाब में। बस इल्तज़ा है ये मेरी सपनों के बाग में सच्चाई हो, संघर्ष हो, इंसा के ख्वाब में...
क्या कहूँ चिड़ियों की चहचहाहट जैसी वो आँगन को गुंजाती है। क्या कहूँ चिड़ियों की चहचहाहट जैसी वो आँगन को गुंजाती है।
मौसम तो खुश नुमा है मगर ये सन्नाटा क्यों है। मौसम तो खुश नुमा है मगर ये सन्नाटा क्यों है।
तेरे आँसू पोंछे होगें, तुझे अपनाया होगा। फिर तुझे कोई सपना दिखा कर तुमसे दूर हो गया तेरे आँसू पोंछे होगें, तुझे अपनाया होगा। फिर तुझे कोई सपना दिखा कर तुमसे ...
सोचा कभी हमें वो नज़र आयेंगे। मगर अब उनकी नज़रे बदल गईं सोचा कभी हमें वो नज़र आयेंगे। मगर अब उनकी नज़रे बदल गईं
सच्चाई हो, संघर्ष हो, इंसा के ख्वाब में। सच्चाई हो, संघर्ष हो, इंसा के ख्वाब में।
ढल गई जिंदगी पानी सी। लोगों की उंगली उठने से। जग ने मुझ को धिक्कार दिया। ढल गई जिंदगी पानी सी। लोगों की उंगली उठने से। जग ने मुझ को धिक्कार दिया।
अब उनकी नज़रे बदल गईं और उन नज़रों के नज़ारे बदल गये। अब उनकी नज़रे बदल गईं और उन नज़रों के नज़ारे बदल गये।
सांसे चली जायेगी मगर ख्वाहिशें रह जाएंगी सांसे चली जायेगी मगर ख्वाहिशें रह जाएंगी