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लेखक सोमिल जैन "सोमू"

Others

5.0  

लेखक सोमिल जैन "सोमू"

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ये दोस्त बहुत याद आएंगे

ये दोस्त बहुत याद आएंगे

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कुछ अरसे बाद हम दूर चले जायेंगे

दूर जाकर खुद का घर बसायेंगे

सब होंगें आस पास मगर साथ

नहीं होंगे

पहले की तरह एक दूसरे के कंधों

पर हाथ नहीं होंगे

हँसी होंगी ख़ुशियाँ होंगी खुला

आसमान होगा

सितारे होंगे, नज़ारे होंगे,

आसमा में बेचैन फव्वारे होंगे

मगर जब कभी

अपनी-अपनी मंज़िल पर पहुँचकर

जब हम पीछे मुड़कर देखेंगे

तो ये दोस्त बहुत याद आएंगे


जिंदगी में समस्याएं तो आएंगी ही

ये तो पार्ट है जिंदगी का

बुरे दिन भी आएंगे

मगर इन्हीं मुसीबत में बने सहारे

ये दोस्त बहुत याद आएंगे


मेरे दोस्त शायद हम तुम्हें बहुत

सतायेंगे

हो सकता है तुमसे रूठ भी जाएंगे

भर तो लेंगे उड़ाने जिंदगी की मगर...

ज़मीन से जुड़े ये दोस्त बहुत याद

आएंगे


मेरे दोस्त आज रिश्ते बहुत कमजोर

हो गए हैं जल्दी टूट जाते हैं

पता नहीं लोग अपने ईगो के कारण

सबकुछ, सबको भूल जाते हैं<

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मगर मैं समझ लूँगा तेरी मजबूरी थी

कह दूँगा साला दोस्त ही तो है

कुछ गलतफहमियाँ फासले पैदा

कर देंगी, मगर गलत तुम भी नहीं,

ग़लती हमारी भी नहीं

कमी तुममें भी नहीं, कम हम भी नहीं


शायद वक्त के साथ हम बदल जाएँगे

मगर कमीने ही सही ये दोस्त बहुत आएंगे


अब जब हम साथ नहीं हैं

बात करने को कोई जरूरी बात नहीं है

भाग रहे हैं सब अपनी-अपनी दौड़ में,

शायद अब किसी दोस्त के कंधों पर

हाथ नहीं है


मगर जब भी, जैसे भी, कैसे भी

हॉस्टल की याद आये, रोने का मन करे

तो किसी एक को कॉल करके साथ

में रो लेना

गालियाँ भी दे देना कोई बुरा नहीं मानेगा

मगर याद से याद रखना... मुसीबत में

तुम लोगों की प्रेमिकाएँ नहीं

ये साले दोस्त ही काम आएंगे...


                         


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