चलने को तैयार करता हैं
चलने को तैयार करता हैं
कतार में खड़े कितने इंसान,
हैं नादान बनने को ईमान !
राह में जो रोड़े पड़े हैं,
किस्मत के हथौड़े से बढ़े हैं !
मुसाफिर वो मुस्कान का,
हर जहां बिखेरता हैं !
हिम्मत की हाजिरी करता हैं,
वो हक़ के लिए लड़ जाता हैं !
बिगड़े को संवारने लग जाता हैं,
बने बनाये को औरों में बांट देता है !
तूफान भी ख़ुद तौबा करता हैं,
जब उसके पीछे वह लग जाता हैं !
हार चूके में हुंकार भरता हैं,
चलने को तैयार करता हैं !
कर्तव्य की कमानी में ख़ुद को कस कर,
अपने पथ हर सपने को सलाम करता हैं !