खुशियां कहां रहती हैं
खुशियां कहां रहती हैं
झोपड़ी में कि महल में रहती हैं,
आखिर खुशियां कहां रहती हैं !
जान पे खेल मुस्कान उमड़ता हैं,
ग़रीबी में ही ख़ानदान रहता हैं !
जब भी सच मालूम पड़ता हैं,
अमीरी में जलन की बू दिखता हैं !
रईस जादे ही सड़को पर ख़लल डालते हैं,
ग़रीबी को कम रोटी में सुकून दिखता हैं !
सच बताऊँ तो यहीं रहता हैं,
ग़रीबी में ख़ुद खुशियां ख़ुशी से रहता हैं !